पंचवर्षीय योजना: भारत की आर्थिक प्रगति के 70 साल ने बदला देश का भविष्य, जानिए कैसे हुआ विकास और क्या हैं नई रणनीतियां

भारत के आर्थिक विकास में पंचवर्षीय योजनाओं का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। स्वतंत्रता के बाद से 2017 तक, देश की अर्थव्यवस्था का निर्माण और विकास इन्हीं पंचवर्षीय योजनाओं के माध्यम से हुआ। ये योजनाएँ केंद्रीकृत और एकीकृत राष्ट्रीय आर्थिक कार्यक्रम हैं, जिनका उद्देश्य देश के संसाधनों का बेहतर उपयोग करके आर्थिक और सामाजिक विकास को गति देना रहा है।

पंचवर्षीय योजना का विचार मूल रूप से सोवियत संघ से लिया गया था, जहां जोसेफ स्टालिन ने 1928 में पहली पंचवर्षीय योजना लागू की थी। भारत में पहली पंचवर्षीय योजना 1951 में प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के नेतृत्व में शुरू की गई थी। इन योजनाओं के माध्यम से सरकार कृषि, उद्योग, शिक्षा, स्वास्थ्य और बुनियादी ढांचे जैसे क्षेत्रों में विकास के लक्ष्य निर्धारित करती थी।

पंचवर्षीय योजनाओं का इतिहास और विकास

भारत में पंचवर्षीय योजनाओं की शुरुआत 1951 में हुई थी, जिसका मुख्य उद्देश्य कृषि विकास पर केंद्रित था। इस पहली योजना के दौरान भाखड़ा नांगल परियोजना, हीराकुंड बांध और दामोदर घाटी परियोजना जैसी महत्वपूर्ण परियोजनाओं की नींव रखी गई थी। इस योजना ने 2.1% के लक्ष्य के मुकाबले 3.6% की विकास दर हासिल की, जो एक बड़ी सफलता थी।

द्वितीय पंचवर्षीय योजना (1956-1961) पीसी महालनोबिस मॉडल पर आधारित थी और इसका मुख्य फोकस औद्योगिक विकास पर था। इस योजना के अंतर्गत भिलाई, दुर्गापुर और राउरकेला में स्टील प्लांट स्थापित किए गए। तीसरी योजना (1961-1966) का उद्देश्य आत्मनिर्भरता प्राप्त करना था, लेकिन यह चीन और पाकिस्तान के साथ युद्ध के कारण अपने लक्ष्यों को पूरा नहीं कर सकी।

तत्पश्चात, चौथी से बारहवीं पंचवर्षीय योजना तक विभिन्न उद्देश्यों पर ध्यान दिया गया। चौथी योजना में आत्मनिर्भरता, पांचवीं में गरीबी उन्मूलन, छठी में रोजगार सृजन, सातवीं में रोजगार-शिक्षा-स्वास्थ्य, आठवीं में मानव संसाधन विकास, नौवीं में न्यायपूर्ण वितरण, दसवीं में सामाजिक न्याय, ग्यारहवीं में तीव्र और समावेशी विकास, तथा बारहवीं में तीव्रतर, दीर्घकालिक और अधिक समावेशी विकास पर जोर दिया गया।

आपकी जानकारी के लिए, ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना (2007-2012) सबसे सफल मानी जाती है, जिसमें 9% के लक्ष्य के मुकाबले 7.9% की विकास दर हासिल की गई थी। इस योजना के तहत आम आदमी बीमा योजना और प्रधानमंत्री आदर्श ग्राम योजना जैसे महत्वपूर्ण कार्यक्रम शुरू किए गए थे।

पंचवर्षीय योजना का योजना आयोग से नीति आयोग तक का सफर

panchvarshiya yojana
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योजना आयोग की स्थापना 15 मार्च 1950 को हुई थी, जिसका मुख्य कार्य पंचवर्षीय योजनाओं को तैयार करना, निष्पादित करना और कार्यान्वित करना था। इस आयोग के अध्यक्ष प्रधानमंत्री होते थे और इसका उपाध्यक्ष कैबिनेट मंत्री के बराबर होता था। मोंटेक सिंह अहलूवालिया इस आयोग के अंतिम उपाध्यक्ष थे, जिन्होंने 26 मई 2014 को इस्तीफा दे दिया था।

2014 में नरेंद्र मोदी सरकार ने योजना आयोग को भंग कर दिया और उसकी जगह नीति आयोग (नेशनल इंस्टीट्यूशन फॉर ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया) की स्थापना की। इसके साथ ही पंचवर्षीय योजनाओं का युग समाप्त हो गया और बारहवीं पंचवर्षीय योजना (2012-2017) आखिरी योजना बन गई। नीति आयोग ने पारंपरिक पंचवर्षीय योजनाओं के स्थान पर तीन प्रमुख दस्तावेज प्रस्तुत किए – 3 वर्षीय एक्शन एजेंडा, 7 वर्षीय मध्यम अवधि का रणनीति पेपर और 15 वर्षीय विज़न डॉक्यूमेंट।

वर्तमान में, भारत सरकार आर्थिक विकास और सामाजिक न्याय के लिए राष्ट्रीय रणनीति पर काम कर रही है। आप नीति आयोग की आधिकारिक वेबसाइट पर और भारत सरकार के पोर्टल india.gov.in पर पंचवर्षीय योजनाओं से संबंधित अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

पंचवर्षीय योजनाओं ने भारत के आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इन योजनाओं के माध्यम से देश में कृषि, उद्योग, शिक्षा, स्वास्थ्य और बुनियादी ढांचे के क्षेत्रों में उल्लेखनीय विकास हुआ है। हालांकि अब पंचवर्षीय योजनाओं का युग समाप्त हो चुका है, लेकिन इनसे मिले अनुभव और सीख भारत के आर्थिक नीति निर्माण में अभी भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।

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