राष्ट्रीय सेवा योजना के मुख्य उद्देश्य क्या हैं: जानिए कैसे युवाओं के व्यक्तित्व और चरित्र विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है यह योजना

भारतीय युवा पीढ़ी के सर्वांगीण विकास के लिए राष्ट्रीय सेवा योजना (एनएसएस) एक महत्वपूर्ण कदम है जो स्वैच्छिक सामुदायिक सेवा के माध्यम से छात्र युवाओं के व्यक्तित्व और चरित्र का विकास करने के लिए तैयार की गई है। वर्ष 1969 में 37 विश्वविद्यालयों में लगभग 40,000 स्वयंसेवकों के साथ शुरू की गई इस योजना का मूल मंत्र है “नॉट मी बट यू” जो प्रजातांत्रिक जीवन के सार को प्रतिबिंबित करता है और नि:स्वार्थ सेवा की आवश्यकता पर बल देता है।

आज के समय में जब युवा पीढ़ी विभिन्न चुनौतियों का सामना कर रही है, तब राष्ट्रीय सेवा योजना के मुख्य उद्देश्य समझना और उन्हें अपने जीवन में उतारना अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाता है। इस योजना के माध्यम से विद्यार्थी अपने समुदाय को समझने, सामाजिक और नागरिक जिम्मेदारी की भावना विकसित करने, और व्यावहारिक समस्याओं के समाधान में अपने ज्ञान का उपयोग करने की क्षमता प्राप्त करते हैं।

राष्ट्रीय सेवा योजना का इतिहास और विकास: 1969 से अब तक की यात्रा

राष्ट्रीय सेवा योजना का इतिहास राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के समय से शुरू होता है, जिन्होंने विद्यार्थियों को राष्ट्रीय सेवा के कार्य में भागीदार बनाने पर जोर दिया था। 28 अगस्त, 1959 को डॉ. सी.डी. देशमुख की अध्यक्षता में एक राष्ट्रीय सेवा समिति नियुक्त की गई थी, जिसने विद्यार्थियों के लिए राष्ट्रीय सेवा अनिवार्य करने की सिफारिश की थी। औपचारिक रूप से, इस योजना की शुरुआत 24 सितंबर, 1969 को तत्कालीन केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ. वी. के. आर. वी. राव द्वारा की गई थी।

वर्तमान में, एनएसएस के तहत लगभग 2.6 मिलियन से अधिक स्वयंसेवक शामिल हैं जो 200 से अधिक विश्वविद्यालयों, पॉलिटेक्निक और +2 प्रणालियों में फैले हुए हैं। इसकी लोकप्रियता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि 1969 में 40,000 विद्यार्थियों से शुरू हुई यह योजना 1995-96 तक 11.36 लाख विद्यार्थियों तक पहुँच गई और 1997-98 में यह संख्या 13.52 लाख हो गई। वर्तमान में, यह योजना देश के सभी राज्यों और संघ शासित प्रदेशों में सक्रिय है और लगातार नए क्षेत्रों में अपना विस्तार कर रही है।

एनएसएस स्वयंसेवकों के कार्यक्रम और उनके समाज पर प्रभाव

rashtriy seva yojana ke mukhya uddeshy kya hai
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राष्ट्रीय सेवा योजना के मुख्य उद्देश्य इस प्रकार हैं:

  1. उस समुदाय को समझें जिसमें वे काम करते हैं
  2. अपने समुदाय के संबंध में खुद को समझें
  3. समुदाय की जरूरतों और समस्याओं की पहचान करना और उन्हें हल करने में शामिल होना
  4. सामाजिक और नागरिक जिम्मेदारी की भावना विकसित करना
  5. व्यक्तिगत और सामुदायिक समस्याओं के व्यावहारिक समाधान खोजने में अपने ज्ञान का उपयोग करना
  6. समूह में रहने और जिम्मेदारियों को साझा करने के लिए आवश्यक क्षमता विकसित करना
  7. सामुदायिक भागीदारी को जुटाने में कौशल प्राप्त करना
  8. नेतृत्व गुण और लोकतांत्रिक दृष्टिकोण विकसित करना
  9. आपात स्थिति और प्राकृतिक आपदाओं से निपटने की क्षमता विकसित करना
  10. राष्ट्रीय एकता और सामाजिक सद्भाव का अभ्यास करना

एनएसएस स्वयंसेवकों के लिए दो प्रकार के कार्यक्रम संचालित होते हैं – सामान्य कार्यक्रम और विशेष शिविर कार्यक्रम। सामान्य कार्यक्रम के अंतर्गत प्रत्येक स्वयंसेवक को एक वर्ष में कम से कम 120 घंटे का समाज सेवा कार्य करना होता है, और दो वर्ष की अवधि में 240 घंटे का समाज सेवा कार्य पूरा करने पर प्रमाण पत्र दिया जाता है। विशेष शिविर कार्यक्रम के तहत वर्ष में एक बार 10 दिवसीय शिविर का आयोजन होता है।

एनएसएस का समाज पर प्रभाव अत्यंत सकारात्मक रहा है। इसने युवाओं में जीवन की वास्तविकताओं की जागरूकता, लोगों की बेहतर समझ और समस्याओं का बोध विकसित किया है। एनएसएस ने परिसर को समुदाय की आवश्यकताओं के लिए प्रासंगिक बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इसके माध्यम से युवाओं में नेतृत्व क्षमता, सहयोग और नागरिक संलग्नता के गुण विकसित हुए हैं, जिससे देश के विकास में उनका सार्थक योगदान सुनिश्चित हुआ है।

अधिक जानकारी के लिए, आधिकारिक वेबसाइट nss.gov.in और yas.nic.in/national-service-scheme-0 पर जाएँ, जहां आप राष्ट्रीय सेवा योजना मैनुअल (संशोधित) 2006 और NSS-RevisedManual-2022.pdf जैसे महत्वपूर्ण दस्तावेज़ भी प्राप्त कर सकते हैं।

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